दीवाली




प्रयत्न जारी है -
उत्सव है
ढूँढू मन में उत्साह कहीं ....
बीते पर्वो से पाऊँ 
ऊंघती सी उमंग कहीं 

उत्सव है। 

ना रंग कहीं, ना हुडदंग कहीं 
असीम उल्लास का उदगार नहीं।
है ये या है त्यौहार नहीं ?
कदन थके 
थिरके क्या किस ताल पर
एकला हो जब संसार में,
तो नृत्य कैसा

पर,
उत्सव है। 

मेरे कैलेंडर पर आज की तारीख में 
सुगंध है -
अनगिन जले पटाखों की 
माँ की रसोई के पकवानों की 
अंतहीन मेहमानों की 

चुप है संसार
मगर मेरी यादों में आज शोर है 
संगीत चारों ओर है 

आखिर 
आज उत्सव है।