तुम मेरा सपना हो


तुम मेरा सपना हो
तुम मेरा सपना हो
पल पल आकार लेता,
साकार होता.
भरसक प्रयत्न कर होते खड़े
हो मेरे लिए हर विजय स्तंभ से बढ़े
निश्छल नयनों से ह्दय जीतता
तुम कल्पना चित्र मेरा
पल पल रंग भरता
दंग करता
तेरे नन्हे से चहरे में
सचमुच सारा जग देखा है
कितना आसान तृप्त होना
मैनें तुमसे ये सीखा है
तुम्हें बनाते पुनः बनी मैं भी
तुम सर्वोत्तम शिल्प मेरा
पल पल रूप लेता,
अनूप होता.
n  गरिमा गुप्ता

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